भोपाल में 80वीं सालगिरह मनाना चाहती थीं सालेहा, लेकिन सेहत ने नहीं दिया साथ

भोपाल. प्रसिद्ध क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी की बड़ी बहन सालेहा सुल्तान का रविवार को हैदराबाद में उनका इंतकाल हो गया। सोमवार रात को उन्हें भोपाल स्थित सूफिया मस्जिद के नजदीक स्थित शाही कब्रिस्तान में दफनाया गया। अपनी ननद की मौत की खबर सुनते ही शर्मिला टैगोर भी भोपाल आ गईं। वे भोपाल में अपनी 80वीं सालगिरह मनाना चाहती थीं, लेकिन सेहत ने साथ नहीं दिया। जिसके चलते उनका यह ख्वाब अधूरा रह गया।


वसीयत में लिखी थी इच्छा


सालेहा ने अपनी वसीयत में लिखा था कि दुनिया को अलविदा कहूं तो उन्हें भोपाल में ही दफनाया जाए। मां की वसीयत के चलते उनका पार्थिव शरीर हैदराबाद से सोमवार दोपहर एक बजे एम्बुलेंस से बेटे आमिर यार जंग, उमर यार जंग और छोटे बेटे फैज अहमद जंग भोपाल लेकर आए, जबकि दूसरे नंबर के बेटे साद बिन जंग बेल्जियम से फ्लाइट नहीं मिलने से भोपाल नहीं आ सके। फ्लैग स्टॉफ हाउस में शाम तक उनका पार्थिव शरीर आम जनता के दर्शनार्थ रखा गया।


भोपाल से था लगाव
इंशा की नमाज अदायगी के बाद उन्हें नवाब सुल्तान जहां बेगम और नवाब हमीदुल्ला खां की कब्र के पास दफनाया गया। इसके पहले पीर सिराज उल हसन साहब ने उनकी नमाज-ए-जनाजा अदा कराई। उनके आखिरी सफर में शहर की कई शख्सियतें शामिल रहीं। नवाब परिवार से जुड़े असलम मोहम्मद खान ने बताया कि खुशमिजाज सालेहा को लोग आत्मीयता से डिम्पू बिया कहते थे। यह नाम उनके नाना हमीदुल्ला खां ने रखा था। वे भोपाल से बहुत प्रेम करती थीं।


भोपाल में हुआ था जन्म, निकाह में शामिल हुए थे पंडित नेहरू


सालेहा सुल्तान का जन्म 14 जनवरी 1940 को भोपाल में हुआ था। उनका निकाह 20 दिसंबर 1957 को दिल्ली में नवाब बशीर यार जंग के साथ हुआ था। हैदराबाद हाउस में हुए उनके निकाह में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शरीक हुए थे।